आधा है चंद्रमा

आधा है चंद्रमा,  रात आधी ...
यह गाना  व्हि. शान्ताराम की फिल्म नवरंग से है ये तो शायद सभी जानते होंगे.
कवी का आर्टिस्टिक लिबर्टी लेना शायद उस कविता के लिये ठीक हो भी सकता है पर जब मै इस पंक्ती का अर्थ निकालने की कोशिश करता हूँ तो मै कुछ असमंछ मे पड जाता हूँ -

देखीये ना चांद यादि आधा हे तो हम यही कह सकते हैं की उसका केवल आधा भाग ही सूर्य की रोशनीसे प्रकाशित है.  कहने का तात्पर्य ये है की हम कदापि यह नहीं सोचेंगे की चांद के दो टुकडे हो गये हैं और बस हमारे सामने एक आधा टुकडा ही बचा है. तो इस तरह का आधा चांद हमे सिर्फ अष्ठमी के दिन दिखाई देता है - चाहे वो शुक्ल पक्ष की हो या कृष्ण पक्ष की.

 अच्छा यादि रात आधी है तो इसका मतलब निकलता है की मध्य रात्री का समय होना चाहीये. अब यदि इन दोनो कथनो को - अर्थात आधा चंद्रमा और आधी रात - मिला कर देखें तो आसमान मे चंद्रमा की स्थिती गाना गाने के समय क्षितीज पर होनी चाहीये.

यदि नायक शु.अष्टमी की रात को गा रहा है तो चंद्रमा पश्चिम क्षितीज पर अस्त होने जा रहा है और यदि नायक कृ.अष्टमी की रात है तो चंद्रमा का पूर्व क्षितीज पर उदय हो रहा होगा.

अब हम जानते हैं की भेंगेपन का दोषी व्यक्ती देखता तो सामने की ओर है पर उसे दिखाई देती है बांयी या दायी वस्तु. अब यदि नायक आसमांन मे उपर की ओर नजर किये ये गाना गा रहा है तो नायक आंखो के डॉक्टरों के लिये  एक अच्छा खासा शोध का विषय होगा - क्यों की उसे उपर देखते हुए निचे की वस्तु नजर आ रही है.

खैर - नजरिया अपना अपना


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